अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस के मौके पर जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व की एक चौथाई से ज्यादा आबादी यानी करीब 2.2 अरब लोग आंखों से देखने संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसमें से एक अरब मामले ऐसे हैं, जिन्हें रोका जा सकता है या फिर इन्हें बिना उपचार के ही छोड़ दिया गया है। पूरे विश्व में 10 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस मनाया जाता है। यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस से दो दिन पहले जारी की गई है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि कि जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ रही है ठीक वैसे-वैसे देखने और अंधेपन से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जाएगी।
डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व की एक चौथाई आबादी विजन इंप्येरमेंट की समस्या से जूझ रही है, इसके पीछे के कारणों के बारे में बताते हुए श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट की सीनियर कंसलटेंट, ओप्थोमोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) अदिति दुसाज ने बताया कि विज़न इम्पेयरमेंट की समस्या का दायरा बहुत बड़ा है इसलिए इसका कोई एक कारण नहीं कहा जा सकता। जहां दृष्टिदोष होना और अलग अलग नंबर के चश्मे पहनना एक फैक्टर है, वहीं इसकी मधुमेह जैसी बीमारियां भी कारण हो सकतीं हैं। इसके अलावा शरीर में पोषक तत्वों खासतौर पर विटामिन ए की कमी तो मूल कारण है ही। ध्यान देने वाली बात है कि खुद आंखों से सम्बंधित बीमारियाँ जैसे रेटिनल डीटेचमेंट, ग्लूकोमा ऐसी बीमारियां हैं जो आंखों के स्ट्रक्चर में गड़बड़ियों के कारण होतीं हैं, और बाहरी संक्रमण भी दृष्टि को प्रभावित करता है।
इन सभी का समग्र रूप से मूल कारण है आज की जीवनशैली जिसमें अधिकतर लोग अपने खान पान के साथ लापरवाही तो करते ही हैं साथ ही अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ा देते हैं, इसके अलावा बहुत बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार है। इसी क्रम में स्मार्टफ़ोन का लगातार इस्तेमाल भी इसका बहुत बड़ा कारण है। दुर्घटनाएं भी अक्सर इसका कारण होतीं हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में दृष्टि हानि की व्यापकता का अनुमान उच्च आय वाले क्षेत्रों की तुलना में चार गुना अधिक है। दुनिया में अकेले तीन एशियाई क्षेत्र (जो कि दुनिया की आबादी का 51 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं ) में 62 प्रतिशत यानी की 21.66 करोड़ लोग दृष्टि संबंधित समस्याओं से प्रभावित हैं। जिसमें दक्षिण एशिया (6.12 करोड़), पूर्वी एशिया (5.29 करोड़), और दक्षिण-पूर्व एशिया (2.08 करोड़ ) शामिल है।
वहीं गरीब और मध्य आय वाले देश अधिक आय वाले देशों की तुलना में चार गुणा तक इस समस्या से परेशान हैं, के सवाल पर डॉक्टर ने बताया कि गरीब और मध्य आय वाले देशों में सबसे बड़ी समस्या कुपोषण या स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव की होती है, ऐसे में लोगों में विटामिन ए की कमी होना या अन्य ऐसी बीमारियों का शिकार होना जिसके परिणामस्वरूप दृष्टिदोष हो आम है।
वहीं विजन इंपेयरमेंट में लोगों को होने वाली परेशानियों के बारे में बताते हुए डॉ. (कर्नल) अदिति दुसाज ने बताया, ”दृष्टि व्यक्ति के स्वास्थ्य का ही नहीं बल्कि समग्र जीवन का अभिन्न हिस्सा है। ऐसे में ज़ाहिर तौर पर रोज़मर्रा की ज़िन्दगी प्रभावित होती है, जिसमे स्वास्थ्य के अलावा दिनचर्या के तमाम कामों पर असर पड़ता है। चश्मे पर निर्भरता के बारे में हम वाकिफ हैं लेकिन सही दृष्टि न होने की वजह से चलने में दिक्कत होना, पढ़ते समय आंखों में दर्द होना आम है। अब यूं तो विज़न इम्पेयरमेंट के मरीजों को सरदर्द की समस्या आम होती है लेकिन यदि यह समस्या आँखों में संक्रमण की वजह से है तो उपरोक्त के अलावा आंखों में जलन, दर्द, पानी बहना, जारी रहता है। ग्लूकोमा, रेटिनल डीटेचमेंट आदि में समय समय डॉक्टर से परामर्श जारी रहता है।”
आंखों की देखभाल के लिए क्या-क्या करना चाहिए
- शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने की पूरी कोशिश होनी चाहिए। खासतौर पर विटामिन ए से भरपूर मौसमी फलों जैसे एप्रीकॉट, केला, सेब आदि का खूब सेवन करना चाहिए। कंप्यूटर स्क्रीन को बहुत समय तक लगातार देखने और स्मार्टफ़ोन के बहुत अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए।
- योग में आंखों के बहुत से व्यायाम हैं जो किये जा सकते हैं।
- साथ ही अपनी आंखों की देखभाल साफ़ सफाई में भी है जैसे ठंडे पाने से धोना, धूप, धूल आदि और संक्रमण से बचाव के लिए सनग्लासेस या अपने ग्लासेस का इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है।
विजन इंपेयरमेंट से कैसे पाएं छुटकारा
- यदि समस्या किसी जटिल बीमारी से नहीं जुडी है तो इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल नहीं है. इसके लिए निम्नलिखित बिन्दुओं पर अमल किया जा सकता है:-
- जल्दी दृष्टि दोष सही करने की कोशिश में अक्सर कई लोग चश्मा ही न पहनने में यकीन करने लगते हैं। जबकि ऐसा करना उनकी दृष्टि को और भी खराब करता है और सरदर्द जैसी समस्या भी देता है। इसलिए यदि चश्मा लग चुका है तो उसको लगातार पहने।
- अपने भोजन में विटामिन ए युक्त पदार्थों जैसे सेब, केला, पपीता आदि की मात्र बढ़ाएं।
- धूप, धूल आदि से आँखों बचाइए, घर से निकलने से पहले सनग्लासेस या अपना चश्मा ज़रूर पहनें।
- दर्द होने पर आंखों को मलने के बजाय ठन्डे पानी से धोएं।
- आंखों से संबंधित हलके फुल्के व्यायाम लगातार करते रहें।
- ग्लूकोमा या रेटिनल डीटेचमेंट से पीड़ित हैं तो लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहें और उसके दिशा निर्देशों का पालन करें।